अर्हम् की सफर.....

सम्यग् ज्ञान के चाहक पू. आ. श्री रविदेव सूरीश्वरजी महाराजा जिनका एक मात्र संकल्प था चरम तीर्थपति परमात्मा श्री महावीर स्वामी का ज्ञान एवं श्रमण – श्रमणी भगवंतो के ज्ञान का लाभ प्रत्येक मानव मात्र उठा सके..
इसीलिए संसारी अवस्था में 1990 से जैन धर्म का सम्यग् ज्ञान प्रचार करने का अद्भुत कार्य प्रारंभ किया था “ अर्हम् मासिक ” के द्वारा जो 11 राज्यों में 50000 वाचक वर्ग से समृद्ध बना... 2020 में उसका एक कदम आगे बढा और “ अर्हम् दैनिक ” के रूप में प्रति दिन अनेक विषयों के साथ जिनेश्वर परमात्मा का ज्ञान विभिन्न लेखकों के माध्यम से प्रकाशित हुए जो सोश्यल एपलीकेशन द्वारा ज्ञान पिपासु आत्मा के ज्ञान प्राप्ति में सहायक बना... वो ज्ञान प्रचार की श्रेणी की श्रुंखला का विस्तार करते हुए आज Arham site नामक वेबसाइट का निर्माण हुआ है... जो जिनशाशन के किसी भी आचार्य भगवंत , पदस्थ , मुनि भगवंत श्री के ज्ञान का लाभ किसी भी पक्षपात के बीना प्राप्त कर सकते है....|
अर्हम् यानि अरिहंत प्रभु ... अर्हम् साईट यानि अरिहंत प्रभु के ज्ञान का संचय जो मानव मात्र के कल्याण में आ सके....
आप भी अपने किसी भी गुरुदेव का सुविचार – लेख – किताबें यह वेबसाइट में रखवा सकते हैं ... और सम्यग् ज्ञान प्रचार सहयोग में योगदान देकर ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय कर सकते है...
|| जैनम् जयति शासनम ||


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